यात्राएँ और यात्रा वृतांत

सागरमाथा और एडमंड हिलेरी

चोमोलंगमा या सागरमाथा पर चढ़ने वाले वाले शेरपा तेनजिंग नोरगे और एडमंड हिलेरी ने शिखर पर पहुँचने  के बाद ही एहसास किया कि इतना आकर्षक पर्वत शिखर बहुत नाजुक और संवेदनशील तो है ही, इसके चारों रहने वाला वाला समाज भी उतना ही बाहरी दबावों के खतरों से घिरा है। एडमंड हिलेरी ने अपने अनुभवों और चिंताओं को नेशनल ज्योग्राफिक में प्रकाशित किया।

ग्यारह नंबर की गाड़ी 

जब उत्तरकाषी के पुरोला में पहली ज्वाइनिंग के लिए गया तो चार पहिया बरसात में बडकोट ही थम गयी बस फिर ग्यारह नम्बर की गाड़ी से ही बड़कोट से खूबसूरत राड़ी का डांडा पार कर पुरोला पहुंचा  और तब से सिलसिला पैदल यात्रा का जारी रहा।

पहाड़ के बारे में कुछ!