विकास की बाढ़ का खौफ बनाम लोकतंत्र के बहिष्कार की हैट्रिक
अस्कोट-आराकोट अभियान का आगाज हो गया। 45 दिन की यह पैदल या़त्रा पच्चीस मई को पांगू से शुरू हुई और 30 मई को मुनस्यारी पहुंची।
अस्कोट-आराकोट अभियान का आगाज हो गया। 45 दिन की यह पैदल या़त्रा पच्चीस मई को पांगू से शुरू हुई और 30 मई को मुनस्यारी पहुंची।
नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमनद झीलें तब बनती हैं जब ग्लेशियर पीछे हटता है और पिघलता हुआ पानी ग्लेशियर द्वारा छोड़े गए गड्ढों में भर जाता है। हिमस्खलन और ग्लेशियरों के हिमखंड गिरने से यह झीलें ओवरफ्लो जाती हैं।
कुछ लोग कहते हैं- महाकाली के मरने की रफ्तार भागीरथी और भिलंगना से कई गुना तेज होगी। क्योंकि, यहां प्रतिरोध ना के बराबर है। इसलिए यहां प्रतिरोध की संभावनाओं को तलाशने और इसे ताकतवर बनाने के लिए यह पुस्तिका अहम दस्तावेज साबित होने वाली है।