शेखर पाठक

पहाड़ के संपादक व संस्थापक शेखर पाठक प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक हैं। वे कुमाऊँ विश्वविध्यालय में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। वे नेहरू मेमोरियल म्यूज़ीयम, नई दिल्ली व इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी, शिमला के फ़ेलो भी रहे हैं। पहाड़ों के गहन जानकार, उन्होंने पहाड़ों को समझने से लिए कई यात्राएँ की एयर लगभग सभी असकोट आरकोट यात्राओं में भागीदारी की।

रणबीर रावल – एक वैज्ञानिक का असमय जाना

रणबीर बहुत सम्वेदनशील था। नैनीताल के विद्यार्थी काल, पंत संस्थान के वैज्ञानिक और फिर निदेशक के रूप में वह हर बार नये सवालों से रूबरू होता था। मुझे याद है कि अनेक बार एस.पी. सिंह, जयन्ता बन्द्योपाध्याय, हेम पाण्डे, जे.एस. मेहता आदि तमाम मित्रों के साथ हो रही चर्चा के केन्द्र में ये नये आयाम होते थे। जिस तरह वह लगातार पत्राचार करता था, वैज्ञानिकों की दो-तीन पीढ़ियों से बात करता रहता था, उससे भी उसकी कर्मठता का अन्दाज आता था।

जिन्दगी से भरे जीवन सिंह मेहता

डॉ. जीवन सिंह मेहता वास्तव में वन और वनस्पति विज्ञान के गहरे अध्येता थे। जंगलात विभाग की नौकरी ने उन्हें वन-वनस्पति का प्रत्यक्ष अनुभव भी दिया। इसलिये वे सिर्फ किताबी विद्वान नहीं थे।

सुन्दरलाल बहुगुणा | एक जटिल युग का अन्त

उत्तराखण्ड की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान सबसे ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक आन्दोलनों से ही बनी। इसमें सुन्दरलाल बहुगुणा की महत्वपूर्ण भूमिका सदा याद की जायेगी।

लाल बहादुर वर्मा : एक बहुमंजिली प्रतिभा

कितना कुछ वे अभी भी कर रहे थे। दरअसल जब वे कहते थे कि आजकल कुछ नहीं कर रहे हैं तो भी वे कुछ न कुछ कर रहे होते थे। जब वे जाड़ों में दक्षि ण और गर्मि यों में पहाड़ों में कहीं एक-दो माह रहते तो कोई न कोई पांडुलिपि बनकर उनके साथ वाप स लौटती थी। साथ ही वे उस ठौर पर दोस्त बनाकर और बढ़ाकर आते थे।

डॉ. जीवन सिंह मेहता को हम सबका अन्तिम सलाम

एक सम्वेदनशील नागरिक, समर्पित वनविद, चिरयात्री, प्रयोगकर्ता, खिलाड़ी, स्पष्टवादी; पहाड़, चिया, वन अधिकारी संस्था आदि के आधार; उत्तराखण्ड तथा हिमालय सम्बन्धी अधिकांश विषयों पर अपनी आधिकारिक टिप्पणी और लेख लिखने वाले; स्पष्ट वक्ता, जरूरतमंदों की चुपचाप मदद करने वाले और लोक जीवन में अत्यन्त रुचि रखने वाले पता नहीं और क्या क्या थे वे।

पहाड़ के बाबत

पहाड़ हिमालय तथा पहाड़ों सम्बंधी अध्ययन में लगी गैर सरकारी, अव्यवसायिक तथा सदस्यों के अवैतनिक सहयोग से चलने वाली संस्था है। एक प्रकार से यह हिमालय, इसके हिस्सों या विरादारों को समग्रता में जानने की कोशिश है।

पहाड़ के बारे में कुछ!