अरुण कुकसाल

डॉ. अरुण कुकसाल हिमालयी सरोकारों से जुड़े सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं। लंबे समय तक ग्रामीण विकास को लेकर गिरि इंस्टीट्यूट, और उत्तरप्रदेश उद्यमिता विकास संस्थान लखनऊ में शोध और क्रियान्वयन से जुड़े रहे। उत्तराखंड शोध संस्थान के माध्यम से अनेक महत्वपूर्ण प्रकाशनों के सामने लाने में डा कुकसाल ने अहम भूमिका निभाई है। उत्तराखंड राज्य बनाने के बाद उत्तराखंड राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद और उत्तराखंड विज्ञान और तकनीकी परिषद में कार्य करते हुए राज्य में विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने लेखन द्वारा सामाजिक चेतना को आगे ले जाने में निरंतर प्रयासरत हैं।

चिपको आंदोलन पर एक जरूरी किताब

चिपको मूलतः पहाड़ी किसानों का आन्दोलन था। वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली और भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला से प्रकाशित पुस्तक ‘हरी भरी उम्मीद’ उसी समाज को समर्पित है जो जंगलों के मायने समझता है।

अलविदा त्रेपन सिंह चौहान!

त्रेपन की छवि मेरे मन-मस्तिष्क में ‘विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार हावर्ड फास्ट के नायक ‘स्पार्टाकस’ की तरह है जो कि सामाजिक-राजनैतिक सत्ता के अन्याय के विरुद्ध हमेशा आन्दोलित रहता है। ‘स्पार्टाकस’ का निजी जीवन भी संघर्ष की सेज पर है परन्तु अपने स्वाभाविक स्वभाव से उसके व्यक्तित्व में हर समय मनमोहक मुस्कान, प्रेम और खुशियों के गीत समाये रहते हैं।

पहाड़ के बारे में कुछ!