समाज, संस्कृति और इतिहास

पलायन का दुष्चक्र

उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन की कल्पना करना ठीक नहीं है फिर भी वर्तमान पीढ़ी को पलायन से रोकने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयासों की जरूरत है जिसके लिए स्थानीयता का अध्ययन कर योजनाएँ बनाने के साथ स्थानीय युवाओं की सहभागिता अनिवार्य है उत्तराखंड से पलायन कर गए कुछ चुनिंदा लोग ही अपने क्षेत्र में वापस लौटे हैं जबकि अधिकांश व्यक्ति सेवानिवृत्त के बाद देहरादून एवं हल्द्वानी सहित भाभर एवं तराई में स्थित शहरों तक ही सीमित है।

कालापानी और लीपूलेख: एक पड़ताल

भारतीय तथा नेपाली राजनय, राजनीति, मीडिया और नागरिक समाज को समझदारी और परस्पर सम्मान के साथ इन विवादों को समझना व सुलझाना होगा। संकुचित राष्ट्रवाद न नेपाल को कहीं ले जायेगा और न भारत को। याद रहे कि दो भाइयों से पहले ये दो राष्ट्र दक्षिण एशिया के दो स्वायत्त और स्वतंत्र गणतंत्र हैं।

पहाड़ के बारे में कुछ!