PAHAR-1

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पहाड़ 1 : सिलसिला
आवरण
पहाड़ और पेड़ का अंतर्संबंध रेखाचित्र : वालेरा पावलोव , पुनर्रचना : विश्वम्भर नाथ साह ‘सखा’
पहाड़ की ओर से
यहाँ पर्वत पर्वत हीरे हैं ।
जनसांख्यिकी
हिमालय का जनसंख्यात्मक स्वरूप : रघुवीर चंद और महावीर चंद ठाकुर
इतिहास
तालेश्वर दानपत्रों के प्रकाश में ब्रह्मपुर की खोज : ताराचंद्र त्रिपाठी
गढ़ शोध : गढ़वाल के गढों के परिप्रेक्ष्य में : यशवंत सिंह कठौच
चन्द कालीन कुमाऊं के वैदेशिक संबंध : कृष्णपाल सिंह
जनजाति
वनराजियों की खोज में : प्रयाग जोशी
आर्थिक पक्ष

Poem written by Baba Nagarjun in PAHAR-1
संशाधन, श्रमशक्ति और क्षेत्रीय शोषण का तानाबाना : चन्द्रेश
पहाड़ों के लिये बेहतर कृषि दृष्टि की जरूरत : हरीश चन्द्र पोखरियाल
गढ़वाल में लघु सिंचाई की संभावनायें : अरविन्द कुमार शाह
घी एवं शक्कर झररा च्यूर : के एस खेतवाल , उमेश चन्द्र शाह
पर्यावरण
उत्तराखंड में बड़े जलाशयों व विद्युत परियोजनाओं का भविष्य : चंडी प्रसाद भट्ट
हम ही लोगों ने छीन लिया हरा दुपट्टा धरती का : खड्ग सिंह वल्दिया
नियोजित पर्वतारोहण : वन्यता और सम्पन्नता के बीच संतुलन : हर्षवंती बिष्ट
सर्वोच्च शिखर क्षेत्र को सुरक्षित रखने की कोशिश : एडमंड हिलेरी
खोह : अतीत और वर्तमा : अनिल प्रसाद जोशी
खनन : पहाड़ में रोजगार या विनाश ? : राधा भट्ट
मसूरी का टूटता पहाड़ : गोविन्द रजवार
चिट्ठी
कुत्ते की ‘लुतू’ सी हालत हो गई है तेरे मेरे पहाड़ की : भगवती नौटियाल
भाषा
कुमाउनी तथा नेपाली : एक संक्षिप्त विवेचन
कुमाउनी स्वनिम, उच्चारण और वर्तनी : केशव दत्त रूबाली
साहित्य
एकलु -द्यार : शेखर जोशी
है कि धार : अबोध बन्धु बहुगुणा
कहाँ कहाँ से उठता है धुंआ ! : नवीन जोशी
एक ढोली के दादा, पिता और चाचा की कहानी : मिनायेव
कवितायें : रमेश चन्द्र शाह , गिर्दा , मंगलेश डबराल , राजेन्द्र रावत , नरेन्द्र रौतेला , ओमप्रकाश गंगोला , दिनेश उपाध्याय , राजेश जोशी, अफलातून पंवार , सुनील हर्बोला , उमेश डोभाल , पूरन चन्द्र तिवाड़ी , अनवर जमाल , शेरसिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ , चारुचन्द्र पांडे, जगदीश जोशी और गोपाल द्त्त भट्ट
संस्कृति

Inner Page
संग्रहालय : जनजागरण के माध्यम : धर्मपाल अग्रवाल
हिमाल्यी सास्क़ृतिक थात को नष्ट करने का षडयंत्र : कृष्णानंद भट्ट
खोजबीन
कुमाऊं का प्राचीन बद्रीनाथ धाम : डी. एन. तिवारी
फोटोपन्ने
विविध फोटो
थात
विविध सामग्री अतुल सकलानी , श्यामलाल , अजय रावत , मदन चन्द्र भट्ट , शेरसिंह पांगती , शेपा और उमा भट्ट
संस्मरण
मेरे हृदय में श्रीनगर की आत्मा की गूँज है : रमा प्रसाद घिल्डियाल ‘पहाड़ी’
रवीन्द्र की मुँहबोली बेटी गर्टरुड इमर्सन सेन : यमुना दत्त बैष्णव ‘अशोक’
घुमक्कड़ी
ग्यारह नम्बर की गाड़ी : प्रभात उप्रेती
हिमालय को ज्यादा जानते हुए : हरीश जोशी
शिवलिंग शिकर के आसपास : निर्मल साह
जो छप रहा है : शेपा
परिशिष्ट
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Year Of Publication: 1983
Book Type: PAHAR Annual
No. Of Pages: 275
Availability Status: Out Of Print, PDF available
Price: $10
Sir मुझे पहाड़ का प्रथम, व द्वितीय अंक कैसे प्राप्त हो सकता है?